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बरस कर के बून्द बून्द पहाड़ों में रो पड़ी, और फिर ये नदियां सारी चटानो में रो पड़ी। अमीर ऐ शहर हँसे थे मिम्बर पे जबसे ये है, की आवामें-मुल्क़ सारी ...